• Home
  • Blog
  • Privacy Policy
  • About Us
Wednesday, July 2, 2025
Janveena Hindi News Portal
  • Home
  • प्रमुख समाचार
  • देश
  • राज्य
  • खेल
  • स्वास्थ्य
  • साहित्य
  • कला-संस्कृति
  • पर्यटन
  • धर्म-दर्शन/ज्योतिष
  • जनवीणा प्रकाशन
  • ई-पेपर
  • मनोरंजन
  • अन्य
    • कृषि एवं ग्रामीण विकास
    • खाना-खजाना
    • विचार वातायन
  • Home
  • प्रमुख समाचार
  • देश
  • राज्य
  • खेल
  • स्वास्थ्य
  • साहित्य
  • कला-संस्कृति
  • पर्यटन
  • धर्म-दर्शन/ज्योतिष
  • जनवीणा प्रकाशन
  • ई-पेपर
  • मनोरंजन
  • अन्य
    • कृषि एवं ग्रामीण विकास
    • खाना-खजाना
    • विचार वातायन
No Result
View All Result
Jan Veena
No Result
View All Result

पाप और पुण्य नहीं है राजनीति

-सियाराम पाण्डेय 'शान्त'

Janveena News by Janveena News
May 3, 2024
in विचार वातायन
0
सांसद बन गए तो भी मिट्टी के कुल्हड़ ही बनाएंगे कल्लन?

READ ALSO

जनादेश का यह कैसा स्वागत

बोया पेड़ बबूल का, आम कहां से होय

राजनीति अपने आप में समग्र जीवन दर्शन है। उसे पाप और पुण्य के आलोक में देखना कदाचित ठीक नहीं है। राजतंत्र में राजा की चार नीतियां हुआ करती थीं। साम, दाम, दंड और भेद । पांचवीं कोई नीति नहीं थी। शेष जो कुछ भी राजा करता था, वह लोक व्यवहार के अंतर्गत आता था। अब राजतंत्र बचा नहीं, उसकी जगह लोकतंत्र ने ले ली है लेकिन राजनीति के सूत्र भी वही चार ही रहे। साम, दाम, दंड और भेद। उदारीकृत ढंग से इसे “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” कह सकते हैं लेकिन कहने में ये चीजें जितनी आसान हैं, व्यवहार में उतनी ही जटिल हैं। जब चुनाव जाति और धर्म की बिना पर लड़े जाते हैं। मतों के ध्रुवीकरण की कोशिश होती है तो सामूहिक सहभागिता, सार्वजनिक विश्वास और प्रयास की परिकल्पना तो वैसे ही हवा-हवाई हो जाती है। मतदान अपनी मर्जी से होता है, न कि दूसरे की। मत का अर्थ है राय। पक्षधरता, विश्वास। चुनाव में जनता एक प्रत्याशी के पक्ष में विश्वास जाहिर करती है और शेष प्रत्याशियों को नकारती है। वैसे भी भारत मुंडे-मुंडे मतिर्भिन्ना की संस्कृति में यकीन रखता है। एक ही परिवार में सबकी राय समान हो, जरूरी नहीं। एक ही पिता की अलग-अलग संतानें गुण, कर्म और स्वभाव के स्तर पर भिन्न होती है फिर वैचारिक ऐक्य का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। तीसरे चरण के चुनाव में जब कुल जमा तीन दिन और शेष है तब यह कहा जा रहा है कि एक गठबंधन को वोट देना पाप का भागीदार बनना है तो दूसरे दल की ओर से तर्क दिया जा रहा है कि पाप-पुण्य की यह राजनीति संबंधित दल को ले डूबेगी। वैसे भी राजनीतिक दल जिस तरह डरने और भागने की बात कर रहे हैं, उससे मतदाताओं का एक तरह से मनोविनोद ही हो रहा है। नानी को ननिहाल की कथा सुनाना जितना हास्यास्पद है, उतना ही हास्यास्पद है मतदाताओं से प्रतिद्वंद्वी दलों की आलोचना करना। जनता को सब पता है कि सत्तापक्ष और विपक्ष ने उसके लिए किया क्या है? उसे पता है कि कौन उसके मतलब का है और कौन निष्प्रयोज्य। मतदाता पहले से ही सार-सार को गहने के लिए सूप लेकर बैठा है। राजनीतिक दल दाल- भात में मूसलचंद की तरह उसकी योजना की अपने स्तर पर बाट लगा रहे हैं। होना तो यह चाहिए था कि राजनीतिक दल मतदाताओं को सुस्थिर चित्त से सोचने का मौका देते। देश की चिंता अकेले राजनेताओं को ही हो, ऐसा नहीं है। देश की असल मालिक जनता है। राजनीतिक दल उसके विवेक पर भरोसा तो करें। पूरा देश विश्वास पर ही चलता है लेकिन अब तो घपले-घोटालेे में फंसे नेता भी अदालतों में इस बात की दुहाई देने लगे हैं कि उन्हें गिरफ्तार ही इसलिए किया गया है कि वे चुनाव प्रचार न कर सकें और अदालतें भी उनकी इन अपीलों पर गौर करने लगी हैं, इसे विडंबना नहीं तो और क्या कहा जाएगा? राजनीतिक दल अगर चुनाव प्रचार न करते और मामला जनता पर छोड़ देते तो इस देश का कितना फायदा होता, चुनाव कितना सस्ता और सहज हो जाता, विचार तो इस पर होना चाहिए। इन दिनों हर चुनावी सभा में कोविशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट पर चर्चा हो रही है। केंद्र सरकार को देश के करोड़ों लोगों की जान से खिलवाड़ करने वाला बताया जा रहा है और कोरोनाकाल में उसके द्वारा किए गए प्रयासों को नकारने की कोशिश की जा रही है, पूरी पार्टी को इस मामले में खलनायक घोषित करने की राजनीतिक कवायद जारी है लेकिन भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के महानिदेशक और कुछ बड़े चिकित्सा व औषधि वैज्ञानिकों के दावे को सुना भी नहीं जा रहा है कि किसी भी टीके का दुष्प्रभाव ज्यादातर एक माह तक ही होता है। कोरोना का टीका लगे लोगों को दो साल हो चुके हैं। ऐसे में कोविशील्ड के खतरे का सवाल ही नहीं उठता लेकिन चुनावी भेड़ियाधंसान में राजनीतिक दल उनकी बातों पर गौर करने की बजाय बस सरकार को घेरने और उसे मतलबपरस्त साबित करने में जुटे हुए हैं। ऐसे में मतदाताओं को ही नीर-क्षीर विवेक करना होगा। चुनाव में झूठ-सच के हथियार तो प्रयुक्त होते ही रहेंगे। माहौल को अतिरंजित करने के भी प्रयास होंगे लेकिन जनता ने अपने आंख-कान बंद रखे तो न ही उसका भला होगा और न देश का। देश गलत हाथों में न जाने पाए, यह देखना मतदाताओं का काम है। पड़ोसी देश, पाश्चात्य देश तो अपनी दुरभिसंधियों का नहला समय-समय पर फेंकते ही रहेंगे। सजग तो हमें रहना है क्योंकि देश हमारा है। हमारे जरा भी गाफिल और भ्रमित होने का मतलब है पूरा बंटाधार।

Previous Post

जनसुरक्षा और अभिव्यक्ति की आजादी का संतुलन होना चाहिए: अमेरिकी विश्वविद्यालय में प्रदर्शन पर बोला विदेश मंत्रालय

Next Post

प्रकृति के यौवन का श्रृंगार

Related Posts

उपेक्षा का आरोप बम भी फुस्स
विचार वातायन

जनादेश का यह कैसा स्वागत

June 4, 2024
उपेक्षा का आरोप बम भी फुस्स
विचार वातायन

बोया पेड़ बबूल का, आम कहां से होय

June 3, 2024
उपेक्षा का आरोप बम भी फुस्स
विचार वातायन

एक्जिट पोल से कहीं खुशी, कहीं गम

June 2, 2024
उपेक्षा का आरोप बम भी फुस्स
विचार वातायन

आपदा में अवसर की राजनीति

June 1, 2024
उपेक्षा का आरोप बम भी फुस्स
विचार वातायन

तपबल के बिना कैसा नेता

May 31, 2024
उपेक्षा का आरोप बम भी फुस्स
विचार वातायन

रोड शो के बीच जनता को डराने के प्रयोग

May 30, 2024
Next Post
प्रकृति के यौवन का श्रृंगार

प्रकृति के यौवन का श्रृंगार

2024 में Amarnath Yatra में आवेदन करें: अमरनाथ यात्रा को घर बैठे मोबाइल से ऑनलाइन बुक करें

2024 में Amarnath Yatra में आवेदन करें: अमरनाथ यात्रा को घर बैठे मोबाइल से ऑनलाइन बुक करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

POPULAR NEWS

विधानसभा में डा. नीरज बोरा ने उठाया मुद्दा : जानकीपुरम की जलभराव समस्या का हो स्थायी निदान, फैजुल्लागंज के चारों वार्डों में पेयजल आपूर्ति हो सुनिश्चित

विधानसभा में डा. नीरज बोरा ने उठाया मुद्दा : जानकीपुरम की जलभराव समस्या का हो स्थायी निदान, फैजुल्लागंज के चारों वार्डों में पेयजल आपूर्ति हो सुनिश्चित

August 1, 2024
निष्पक्ष जांच कराकर परिजनों को दिलायेंगे न्याय : डा. नीरज बोरा | मृतक अमन गौतम के परिजनों से मिले भाजपा विधायक

निष्पक्ष जांच कराकर परिजनों को दिलायेंगे न्याय : डा. नीरज बोरा | मृतक अमन गौतम के परिजनों से मिले भाजपा विधायक

October 13, 2024
राजधानी लखनऊ में धूमधाम से मनी मणिकुण्डल जयंती

राजधानी लखनऊ में धूमधाम से मनी मणिकुण्डल जयंती

January 13, 2025
डेंगू से हुई मौतें अफसोसजनक, युद्धस्तर पर हो एंटीलार्वा का छिड़काव : डा. नीरज बोरा

डेंगू से हुई मौतें अफसोसजनक, युद्धस्तर पर हो एंटीलार्वा का छिड़काव : डा. नीरज बोरा

September 27, 2024
आदर्श जननायक थे बनारसी दास गुप्ता : इण्टरनेशनल वैश्य फेडरेशन ने लखनऊ में मनाई हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री की जयंती

आदर्श जननायक थे बनारसी दास गुप्ता : इण्टरनेशनल वैश्य फेडरेशन ने लखनऊ में मनाई हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री की जयंती

November 5, 2024

E-Paper

जनवीणा (हिन्दी साप्ताहिक) 28 अप्रैल, 2024

जनवीणा (हिन्दी साप्ताहिक) 21 दिसम्बर, 2023

December 21, 2023
जनवीणा (हिन्दी साप्ताहिक) 28 अप्रैल, 2024

जनवीणा (हिन्दी साप्ताहिक) 28 सितम्बर 2023

September 28, 2023
जनवीणा (हिन्दी साप्ताहिक) 28 अप्रैल, 2024

जनवीणा (हिन्दी साप्ताहिक) 28 अक्टूबर, 2023

October 28, 2023
जनवीणा (हिन्दी साप्ताहिक) 28 अप्रैल, 2024

जनवीणा (हिन्दी साप्ताहिक) 21 मार्च, 2024

March 21, 2024

About Us

जन वीणा एक विश्वसनीय समाचार वेबसाइट है जो नवीनतम खबरों, घटनाओं और विश्लेषण को निष्पक्षता के साथ पेश करती है। हमारी अनुभवी टीम आपको राजनीति, व्यवसाय, खेल, मनोरंजन, विज्ञान, और अन्य विषयों पर सटीक खबरें प्रदान करती है।
Contact No.-9335654453 

E-Mail Id-janveenanews@gmail.com

Categories

  • Auto
  • ई-पेपर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि एवं ग्रामीण विकास
  • खेल
  • जनवीणा प्रकाशन
  • देश
  • धर्म-दर्शन/ज्योतिष
  • पर्यटन
  • प्रमुख समाचार
  • मनोरंजन
  • राज्य
  • विचार वातायन
  • विदेश
  • साहित्य
  • स्वास्थ्य

Follow us

No Result
View All Result
  • Home
  • प्रमुख समाचार
  • देश
  • राज्य
  • खेल
  • स्वास्थ्य
  • साहित्य
  • कला-संस्कृति
  • पर्यटन
  • धर्म-दर्शन/ज्योतिष
  • जनवीणा प्रकाशन
  • ई-पेपर
  • मनोरंजन
  • अन्य
    • कृषि एवं ग्रामीण विकास
    • खाना-खजाना
    • विचार वातायन

©Copyright 2024, All Rights Reserved For JanVeena by RA.Tech (7985291626)